बिलासपुर के स्कूल में मनाया गया मुहर्रम, नई परंपरा पर उठे सवाल…
बिलासपुर,
बिलासपुर स्थित Colonels Academy of Radiant Education Public School में आज मुहर्रम के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें स्कूल के छात्रों ने करबला की घटना पर आधारित प्रस्तुतियाँ दीं और शांति व बलिदान का संदेश साझा किया।
कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं और विभिन्न धर्मों की परंपराओं के बारे में जागरूक करना बताया गया। स्कूल प्रशासन के अनुसार, यह आयोजन “सांप्रदायिक सौहार्द” और “सामाजिक मूल्यों” की समझ विकसित करने के लिए किया गया।
हालांकि, इस आयोजन को लेकर कुछ अभिभावकों और सामाजिक वर्गों में सवाल उठने लगे हैं कि जब हिंदू त्योहारों जैसे राम नवमी, जन्माष्टमी या नवरात्रि को इसी तरह स्कूलों में नहीं मनाया जाता, तो केवल एक धर्म विशेष के त्योहार को विद्यालय स्तर पर क्यों महत्व दिया जा रहा है?
इस संबंध में कुछ लोगों ने यह भी कहा कि “अगर स्कूल धर्मनिरपेक्षता की बात करता है, तो सभी प्रमुख त्योहारों को समान रूप से स्थान देना चाहिए, या फिर किसी भी धार्मिक आयोजन से दूर रहना चाहिए।”
इस घटना ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या विद्यालयों में धार्मिक आयोजनों की शुरुआत शिक्षा के उद्देश्यों को प्रभावित कर रही है, या यह केवल सांस्कृतिक जागरूकता का माध्यम है?
फिलहाल स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह चर्चा अब शिक्षा क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म दे रही है — क्या स्कूलों में धार्मिक आयोजनों की अनुमति होनी चाहिए, और यदि हाँ, तो कैसे?