
बिलासपुर। जिले के बेलगहना क्षेत्र के कुरदुर में जिस 18 साल की अजय सिंह की मलेरिया से चार दिन पहले मौत हुई, वह राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र था। उस बैगा जनजाति वाले गांव परसापानी का रहने वाला था। उसका दूर का रिश्तेदार संजू सिंह आज भी सिम्स में भर्ती होकर इलाज करवा रहा है। उसकी भी स्थिति अच्छी नहीं है। जंगल के बीच रहकर प्रकृति की सुरक्षा करने वाले बैगाओं का जीवन नरक बन चुका है। यह सारी लापरवाही जिले के स्वास्थ्य विभाग की है। जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश शुक्ला इसके मुख्य जिम्मेदार है। जानकार बताते हैं घने जंगल और पहाड़ों के बीच परसापानी में तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाएं दूर एंबुलेंस के पहुंचने का मार्ग नहीं है। जब अजय सिंह को मलेरिया हुआ तो उसे उसके घर से खाट पर बैठाकर तीन किलोमीटर लाया गया। उसके बाद उसे जीवनरक्षक एंकुलेंस नसीब हो पाई। जब तक उसे स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती उसकी मृत्यु हो चुकी थी। इस मौत को तीन दिन गुजर चुके हैं, पर सरकार मामले में जवाबदेही तय नहीं कर पाई है आखिर अजय सिंह की मौत का जिम्मेदार कौन है? छत्तीसगढ़ में विपक्ष भी इस मामले में खामोश है। बेलगहना के इन स्थानों पर मलेरिया के कई मरीज हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जानकारी देने से कतरा रहे हैं, इसके चलते बीमारी और मौत का तांडव जारी है। बताया जा रहा है कि जंगल में कई बैगा परिवार हैजा, डायरिया, डेंगू और ऐसे कई संक्रमण की चपेट में है। स्वास्थ्य विभाग के मुखिया डॉ. राजेश शुक्ला को इससे कोई मतलब नहीं है। इसके कारण भर्राशाही जारी है।
बैगा कर रहे सीएमएचओ को हटाने की मांग
आदिवासी क्षेत्र में बसे बैगा जनजाति के लोग सड़क पर हैं। वे जिले के मुख्य चिकित्सा स्वााथ्य अधिकारी डाॅ. राजेश शुक्ला को हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। स्वास्थ्य विभाग में मनमानी जारी है। कुछ अखबारों में फोटो छपवाकर सीमएचओ वाहवाही लूट रहा है। उन अखबारों को नहीं पता कि सीएमएचओ की गलती के चलते कहां कहां कितनी बीमारी फैली और कइयों की मौत हो चुकी है।